अभिजित मुहूर्त
ज्योतिषशास्त्र के अंतर्गत आनेवाले मुहूर्तों
में से एक मुहूर्त अभिजित मुहूर्त के नाम से जाना जाता है. ज्योतिषशास्त्र के
अनुसार प्रत्येक दिन का आठवां मुहूर्त अभिजित मुहूर्त कहलाता है. सामान्यतः इस
मुहूर्त का मान मध्यममान से 48 मिनट होता है, लेकिन मुख्य रूप से यह उस दिन के दिनमान या सुर्योदयास्तकाल पर
निर्भर करता है. इस मुहूर्त में सभी प्रकार के कार्य आरम्भ किए जा सकते हैं, क्योंकि मान्यतानुसार इस मुहूर्त में
आरम्भ किए गए कार्यों में किसी भी प्रकार की विघ्न-बाधाएं नहीं आती है और वह कार्य
सफलतापूर्वक संपन्न हो जाता है. ज्योतिषों के अनुसार यदि अभिजित मुहूर्त में पूजन
कर कोई भी शुभ मनोकामना की जाए तो निश्चित रूप से पूरी होती है. शास्त्रकारों के
मतानुसार अभिजित मुहूर्त बड़े से बड़े दोषों को नष्ट करने में सक्षम है, इसलिए जब किसी मंगल कार्य के लिए शुभ
लग्न न मिले तो उस कार्य को इसी मुहूर्त में संपन्न कर लेना चाहिए.
प्रत्येक
दिन का मध्य-भाग (अनुमानत 12 बजे) अभिजित मुहूर्त कहलाता है जो मध्य से पहले और बाद में 2 घड़ी अर्थात् 48 मिनट का होता है। दिनमान के आधे समय
को स्थानीय सूर्योदय के समय में जोड़ दें तो मध्य काल स्पष्ट हो जाता है। जिसमें 24 मिनट घटाने और 24 मिनट जोड़ने पर अभिजित् का प्रारंभ
काल और समाप्ति काल निकट आता है।
इस
अभिजित् काल में लगभग सभी दोषों के निवारण करने की अद्भुत शक्ति है। जब मुंडन आदि
शुभ कार्यों के लिए शुभ लगन न मिल रहा हो तो अभिजित् मुहूर्त काल में शुभ कार्य
किए जा सकते हैं।
बताते
हैं कि वर्ष के 365 दिन में 11.45 से 12.45 तक का समय अभिजीत मुहूर्त कहलाता है। इस
मुहूर्त में अगर कोई भी कार्य किया जाए तो उसमें विजय प्राप्त होती है।
कहते
है इसमें आप कुछ भी करें तो वह सर्वफलदायी होता है, सर्वाथसिद्धिदायक होता है। इस मुहूर्त या फिर तिथि में किया गया काम
शुभ फलों को देता है। अतिशुभ फलों के इन्हीं आगमन के लिए हिंदू कैलेंडर में कुछ
तिथियां हमारे ऋषि-मुनियों द्वारा काल गणना के आधार पर निर्धारित की गई है।
अभिजीत
मुहूर्त यानी एक ऐसा मुहूर्त जिसमें अगर काम शुरु किया गया तो विजय होनी तय है, सफलता की गारंटी पक्की होती है। वैशाख
महीने की गणना सबसे सर्वोत्तम महीनों में की जाती है। वैशाख मास की विशिष्टता
इसमें पड़ने वाली अक्षय तृतीय के कारण अमर हो जाती है। भारतीय काल गणना के मुताबिक
चार स्वयंसिद्ध अभिजित मुहूर्त माने गए है चैत्र शुक्ल प्रतिपदा (गुडी पडवा), आखातीज यानी अक्षय तृतीया, दशहरा और दीपावली के पूर्व की प्रदोष
तिथि।
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